Source: pib.nic.in
Posted by: दीप on 06-07-2016 21:59,
Type: Commentary/Human Interest
1. उन मामलों में जहां आवेदक एक नई जगह पर स्थानांतरित कर दिया गया और उसकी/उसके रियायत प्रमाण पत्र उसकी/उसके पिछले निवास के सरकारी अस्पताल द्वारा जारी किया गया है, वैसे लोग वर्तमान निवास के डीआरएम कार्यालय (माना ए) में अनुमति के लिए आवेदन दे सकते हैं। यह मंडल उस सरकारी अस्पताल, जो रियायती प्रमाण पत्र जारी करता है, के इलाके के मंडल/जोन (माना बी) द्वारा सत्यापित करायेगा। उसके बाद यह उस मंडल/ जोन को विवरण भेज देगा जिसने सत्यापन अनुरोध भेजा था। सत्यापन विवरण के आधार पर मंडल ए शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति को या उसकी /उसके प्रतिनिधि को (उचित प्राधिकार पत्र के साथ) आईडी कार्ड जारी करेगी। हालांकि मूल प्रमाण पत्र (पते के सबूत के लिए वर्तमान निवास का पता संबंधित प्रमाण) कार्ड के लेते समय दिखाया जाना आवश्यक है। इस तरह के मामलों में आईडी कार्ड जारी करने के निपटान समय सीमा आवेदन प्राप्त होने की तारीख से दो महीने ही है।
2. शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए जारी फोटो आईजी कार्ड जारी होने की तिथि से 5 साल के लिए अथवा जबतक रियायती प्रमाण पत्र मान्य है तथा इनमें से जो भी पहले हो तक जारी किया जाता है, उसके बाद नवीनीकरण/ पुन जारी करने में भी इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
- आईआरसीए कोचिंग टैरिफ नंबर 26 पैरा (1) खंड (2) नियम के तहत, कुछ मामलों में रियायती प्रमाण पत्र की मान्यता 5 साल से ज्यादा भी होती है---
- स्थायी विकलांगकता के मामले में, 26 से 35 वर्ष की आयु तक के लोगों का प्रमाण पत्र 10 वर्ष के लिए मान्य होता है।
- स्थायी विकलांगकता के मामले में, 35 वर्ष अधिक आयु वर्ग के लोगों का प्रमाण पत्र पूरी उम्र के लिए मान्य होता है।
- वैसे मामलों में जहां अस्पताल के अधिकारियों द्वारा जारी रियायती प्रमाण पत्र 10 साल या कुछ मामलों में जहां उम्र भर के लिए वैध हो, रियायत प्रमाण पत्र के नवीकरण के लिए फिर से सत्यापन की आवश्यकता नहीं होती है। बाकी के सारे नियम पहले जैसे ही हैं।