Source: www.bhaskar.com
Posted by: RKS on 18-01-2017 00:31,
Type: New Facilities/Technology , Zone: North Western Railway)
रेलवे ने 1968 के पहले लागू किया था नियम...
- दरअसल, रेलवे ने लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्रियों की सुविधा के नाम पर 1968 से पहले यह नियम (डिस्टेंस रिस्ट्रिक्शन रूल) लागू किया था।
- रेलवे का तर्क था कि कम दूरी के टिकट देने से लंबी दूरी का सफर करने वाले पैसेंजर्स को बेवजह परेशानी होती है।
- कम दूरी के टिकट बुक होने से लंबी दूरी का टिकट लेने वालों को बर्थ भी नहीं मिल पाती।
- इसके लिए सभी जोन को अधिकार दिए गए थे कि वे अपने-अपने जोन की ट्रेनों में जरूरत के मुताबिक इस नियम के तहत स्टेशन चिह्नित कर उनके लिए मिनिमम दूरी के टिकट देने पर रोक लगा सकते हैं।
- स्थिति यह है कि अलग-अलग जोन में ट्रेन की क्लास और दूरी भी अलग-अलग ढंग से तय की हुई है।
- रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर पैसेंजर मार्केटिंग विक्रम सिंह ने आदेश जारी कर कहा कि मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों से यह नियम हटा लिया गया है, लेकिन सेकंड क्लास अनरिजर्व्ड टिकट के मामले में जोनल रेलवे इसे उन ट्रेनों में लागू रखेंगे, जिनमें दो अनारक्षित कोच ही लगाए जाते हैं।
रेलवे ने 7 साल पहले किया था मना
- 2009 में एक पैसेंजर एनएल रोहिड़ा ने रेलवे बोर्ड से सवाल किए थे कि यह नियम सभी जोन ट्रेनों में एक समान क्यों नहीं है, क्या रेलवे इस बेतुके नियम को वापस लेने के बारे में कोई फैसला लेगा?
- रेलवे बोर्ड ने तब कहा था कि यह नियम यात्रियों के ही हित में हैं, इसलिए रेलवे इसे बदलने का कोई विचार नहीं रखता।
एक ट्रेन में टिकट, दूसरी में मना
- नई दिल्ली-बेंगलुरु राजधानी में भोपाल से पहले किसी स्टेशन का रिजर्वेशन टिकट नहीं दिया जाता। इसके उलट नई दिल्ली से ही चलने वाली चेन्नई राजधानी में भोपाल से पहले झांसी का टिकट दिया जाता रहा।
- नई दिल्ली-बेंगलुरु कर्नाटक एक्सप्रेस और नई दिल्ली-हैदराबाद आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस में नई दिल्ली से ग्वालियर के लिए सेकंड एसी में टिकट नहीं मिलेगा, लेकिन फर्स्ट एसी में सफर कर सकते हैं।