Source: www.bhaskar.com
Posted by: Vinod on 22-05-2016 00:54,
Type: Other , Zone: North Central Railway)
-भारतीय रेल में यात्रा करना एक युद्ध जीतने जैसा है। खासतौर से उस समय जब कहीं कुंभ मेले जैसा आयोजन हो रहा हो।
-जैसे ही प्लेटफॉर्म पर ट्रेन आती है, यात्रियों में सीट घेरने के लिए दौड़ शुरू हो जाती है। खासतौर से जनरल बोगी में तो घुसने का काम बिल्कुल किसी युद्ध जैसा ही है।
-भीड़ के आगे पुलिस फोर्स भी बेकार साबित होती है। ऐसा ग्वालियर में कई बार उस समय होता है, जब मुसाफिर गिर्राजजी की परिक्रमा लगाने जाते हैं।
जान की परवाह नहीं करते यात्री
-कई बार तो यात्री प्लेटफॉर्म की बजाय दूसरी ओऱ से लाइन से ट्रेन में सवार होने की कोशिश करते हैं। ऐसे में कई बार ट्रैक पर ट्रेन आने से एक्सीडेंट होने की भी आशंका रहती है।
पहले सीट घेरने के चक्कर में ऐसे यात्री दुर्घटना की आशंका भी बढ़ा देते हैं। ऐसे मामलों को रोकने में भी रेलवे असफल रही है।